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خلاصہ
تفصیلSweekar Ka Jadu discourse by Sirshree in Hindi.ogg
हिन्दी: हर इंसान असली खुशी की तलाश में भटक रहा है। असली खुशी न पाकर, वह उसे धन-दौलत मान-सम्मान पद प्रतिष्ठा, नाम-शोहरत, सुख-सुविधा, मनोरंजन इत्यादि में ढूँढ़ता रहता है। तो क्या इंसान को उपरोक्त बातों से खुशी मिल पाती है? नहीं ! असली खुशी तो वास्तव में इंसान से कोसों दूर है। उसे पता ही नहीं है कि असली खुशी किसे कहा गया है। प्रस्तुत प्रवचन में तेजगुरु सरश्री हमारा हाथ थामकर, हमें असली खुशी की यात्रा पर ले चलते हैंं तथा इस विषय पर मार्गदशन देते हैं। वे बाते हैंकि स्वीकार सुख है और अस्वीकार दुःख का कारण बनता है इसलिए पहले जो जैसा है उसे वैसा स्वीकार करना है। स्वीकार करने के बाद ही इंसान नकली खुशी के बजाय असली आनंद प्राप्त करने के लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है।
इस प्रवचन में सात प्रकार की खुशियों के बारे में बताया गया है।
पहली प्रकार की खुशी यानी झूठी खुशी है उदा. कोई इंसान बस से कहीं जा रहा है और टिकट खरीदने से पहले ही उसका स्टॉप आने पर वह उतर जाता है। उसके टिकट के पैसे बच गए वह यह सोचकर खुश हो रहा है। हालॉंकि उस वक्त उसे इस बात का आनंद आ रहा है। मगर उसे नहीं पता कि इस तरह के झूठे आनंद की वजह से जो पैसे उसके पास बच गए उससे उस इंसान के पास आगे आनेवाले हजारों, लाखों रुपए रुक सकते हैं